एक दिन बांकेलाल को विशालगढ़ के मेले में मिला एक अजीब सा सौदागर जो बेच रहा था राक्षस का बाल और उसका कहना था की इस बाल को पेड़ पर लटकाने से एक राक्षस पैदा होता है और कोई भी इच्छा पूरी करता है। बांकेलाल ने वो बाल ले लिए और लटका दिया एक पेड़ पर। लेकिन बांकेलाल नहीं जानता था की वो एक जाल में फंस रहा है क्योंकि वह राक्षस इच्छा पूरी करने वाला नहीं बल्कि अपने मालिक जादूगर तड़क भुन के लिए शिकार फंसाता था। बांकेलाल को भी लेकर वो अपने मालिक के पास पहुंचा पर बांकेलाल ने उससे जादूगरी सीखने के लिए उसे अपने गुरु बना लिया और उसने बांकेलाल को दिया राक्षसों की खेती करते का काम जिससे वो राक्षसों की सेना लेकर विशालगढ़ पर हमला कर सके।
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