स्याह विवर ब्रह्माण्ड को निगलने ही वाला था की सप्तर्षि ने अपनी शक्तियों से उसका मुह बांध दिया। संसार अब स्याह विवर के कहर से मुख्त था, परन्तु केवल कुछ ही समय तक के लिए। बन्धमुक्त होने के लिए स्याह विवर अपनी बेटियो को अपना मोहरा बनता है और सप्तर्षि से उन्हें ७ बच्चो का वरदान मिलता है।
अब यहि बच्चे आगे चलकर अपने नाना स्याह विवर को बन्धमुक्त करने के लिए जीते है। यह कहानी में आप जानेंगे परियों और भोकाल की जन्म कथा।
Log in to comment